वैसे तो, हर चीज में छोटी-बड़ी दिक्कते आती ही हैं, लेकिन प्रोफेशनल लाइफ भी आसान नहीं है। काम से लेकर, सभी के साथ, अपने संबंधों को सही बनाए रखना, और भी चैलेंजिंग है। और खासतौर पर तब, जब आपके अंडर, अलग अलग मैंटालिटी के कई लोग, एक साथ काम करते हैं। आनंद के पापा, एक कॉरपोरेट कंपनी में मैनेजर हैं। कई लोगों के साथ डील करना पड़ता है। सभी की बातें और मांगे, सुननी पड़ती हैं। पिछले कुछ दिनों से, उनके अंडर काम करने वाले कुछ लोग, हर रोज एक ही समस्या की शिकायत कर रहे थे। जब इस बार, वो सभी, फिर से उन्हीं परेशानियों के बारे में बताने लगे, तो आनंद के पापा ने, शिकायत सुनने के बजाय, उन लोगों को एक Joke सुनाया और सभी लोग ठहाके लगाकर हंस पड़े।
आनंद के पापा ने, दोबारा वही Joke दोहराया, कुछ लोग मुस्कुराए। अंत में, उन्होंने, तीसरी बार वही Joke दोहराया, लेकिन इस बार, किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनमें से कोई नहीं हंसा। तब आनंद के पापा मुस्कुराते हुए बोले- आप लोग, एक Joke, एक से ज्यादा बार नहीं सुन सकते। तो मैं, सेम परेशानियों को इतनी बार, कैसे सुन सकता हूं। समस्या है, तो उसकी शिकायत करने की बजाय, उसे ठीक करने की कोशिश करें। तभी कुछ आउटपुट निकलेगी। विक्टिम नहीं, एक्टिव बनें।